1 अगस्त 2025

क्या आप जानते हैं कि 1 अगस्त 2025 से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े कई बड़े वित्तीय नियम बदलने वाले हैं? ये बदलाव क्रेडिट कार्ड, रसोई गैस (LPG), UPI और CNG-PNG की कीमतों से संबंधित हैं, जो सीधे तौर पर आपकी जेब पर असर डालेंगे। आइए जानते हैं इन महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में ताकि आप खुद को तैयार कर सकें।

पूरी खबर क्या है?

हर महीने की पहली तारीख को कुछ न कुछ नए नियम लागू होते हैं, और अगस्त 2025 भी इसका अपवाद नहीं है। इस बार, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के क्रेडिट कार्ड धारकों, LPG उपभोक्ताओं और CNG-PNG उपयोगकर्ताओं के लिए कई महत्वपूर्ण अपडेट्स हैं।

  • क्रेडिट कार्ड में बदलाव: अगर आप एसबीआई कार्ड होल्डर हैं तो यह आपके लिए झटका हो सकता है। 11 अगस्त से एसबीआई अपने कई को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाले मुफ्त एयर एक्सीडेंट इंश्योरेंस कवर को बंद कर रहा है। इसके अलावा, HDFC बैंक भी 1 अगस्त से अपने क्रेडिट कार्ड नियमों में बदलाव कर रहा है। थर्ड-पार्टी पेमेंट ऐप्स (जैसे Paytm, CRED, MobiKwik) के जरिए किए जाने वाले रेंटल ट्रांजैक्शन पर अब 1% चार्ज लगेगा, जिसकी अधिकतम सीमा ₹3,000 प्रति ट्रांजैक्शन होगी। ₹50,000 से अधिक के यूटिलिटी ट्रांजैक्शन पर भी 1% शुल्क लगेगा।
  • LPG के दाम में बदलाव की उम्मीद: हर महीने की पहली तारीख को LPG सिलेंडरों की कीमतों में बदलाव होता है। 1 जुलाई को कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में ₹60 की कटौती की गई थी। अब 1 अगस्त से घरेलू रसोई गैस के दाम में भी कटौती की उम्मीद की जा रही है, जिससे आम उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिल सकती है।
  • CNG और PNG के दाम में संभावित बदलाव: तेल कंपनियां अक्सर CNG और PNG की कीमतों में मासिक बदलाव करती हैं। अप्रैल के बाद से इनमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। आखिरी बार 9 अप्रैल को मुंबई में CNG ₹79.50 प्रति किलोग्राम और PNG ₹49 प्रति यूनिट हुई थी। 1 अगस्त को इन ईंधनों की कीमतों में भी बदलाव की संभावना है।

इसका आप पर क्या असर पड़ेगा?

ये बदलाव सीधे तौर पर आपके मासिक बजट को प्रभावित कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड के नए शुल्क से रेंटल और बड़े यूटिलिटी बिलों का भुगतान महंगा हो जाएगा। LPG की कीमतों में संभावित कटौती से आपको थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन CNG और PNG के दाम में वृद्धि से परिवहन और रसोई का खर्च बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों का उद्देश्य वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना और कुछ सेवाओं पर लगने वाले शुल्कों को तर्कसंगत बनाना है। हालांकि, आम आदमी को अपने मासिक खर्चों की योजना बनाते समय इन नए नियमों को ध्यान में रखना होगा।

आप इस पर क्या सोचते हैं?

इन नए वित्तीय नियमों पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि ये बदलाव आपकी जेब पर बहुत अधिक बोझ डालेंगे या आप इसके लिए तैयार हैं? अपनी राय हमें बताएं!