भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने एक बार फिर खतरे की घंटी बजा दी है। कंपनी ने साफ कहा है कि अगर सरकार ने उसे तत्काल मदद नहीं दी, तो वह अगले 10 महीनों में दिवालिया हो सकती है । इसका सबसे ज्यादा असर 59 लाख छोटे शेयरधारकों और 16 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों पर पड़ेगा।
क्या है कंपनी का संकट?
वोडाफोन आइडिया पिछले कई सालों से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी है। कंपनी ने सरकार से कहा है कि बिना सरकारी समर्थन के वह वित्त वर्ष 2026 (FY26) के बाद अपना कारोबार नहीं चला पाएगी। इसकी वजह से उसे NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है, जहां दिवालियापन की कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी।
सरकार की भी है 49% हिस्सेदारी
कंपनी ने अपने स्पेक्ट्रम बकाये को इक्विटी में बदलकर सरकार को 49% हिस्सेदारी दी है। लेकिन इसके बावजूद, सरकार को अभी भी 1.95 लाख करोड़ रुपये (AGR और स्पेक्ट्रम शुल्क) मिलने हैं। अगर कंपनी दिवालिया हुई, तो यह रकम वसूल नहीं हो पाएगी, और सरकार की हिस्सेदारी की कीमत भी शून्य हो सकती है।
क्यों जरूरी है सरकारी मदद?
वोडाफोन आइडिया ने 26,000 करोड़ रुपये का इक्विटी फंड जुटाया है, लेकिन बैंकों से अभी तक कोई फंडिंग नहीं मिली। कंपनी का कहना है कि बैंकों से मदद पाने के लिए सरकार को गारंटी देनी होगी। बिना इसके कामकाज ठप हो जाएगा।
59 लाख शेयरधारकों का क्या होगा?
कंपनी में 59 लाख से ज्यादा छोटे शेयरधारक हैं, जिन्होंने 2 लाख रुपये तक का निवेश किया है। पिछले 10 सालों में कंपनी के शेयरों की कीमत 100 रुपये से घटकर 7.35 रुपये पर आ गई है। यानी निवेशकों का 94% पैसा डूब चुका है । अगर कंपनी बंद होती है, तो ये निवेश पूरी तरह बर्बाद हो सकता है।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
वोडाफोन आइडिया के 16 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं। अगर कंपनी बंद होती है, तो टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा कम होगी, और ग्राहकों के पास कम विकल्प बचेंगे। इसके अलावा, नेटवर्क में व्यवधान से डिजिटल सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट से भी मांगी मदद
वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कंपनी 30,000 करोड़ रुपये के जुर्माने और ब्याज माफ करने की मांग कर रही है। उसका तर्क है कि सरकार अब उसकी पार्टनर है, तो पुराने AGR फैसले न्यायसंगत नहीं रह गए। 19 मई को होने वाली सुनवाई में तय होगा कि कंपनी को राहत मिल पाएगी या नहीं।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अपने पैसे की सुरक्षा के लिए सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें। वोडाफोन आइडिया के शेयरों में निवेश अब बहुत जोखिम भरा माना जा रहा है।
निष्कर्ष
वोडाफोन आइडिया के संकट से न केवल शेयरधारक और ग्राहक प्रभावित होंगे, बल्कि पूरा टेलीकॉम सेक्टर भी झटका खाएगा। सरकार और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कंपनी के भविष्य का रास्ता साफ होगा। अगले कुछ हफ्तों में बड़े फैसले आने की उम्मीद है।
डिस्क्लेमर: निवेश से पहले हमेशा विशेषज्ञ से सलाह लें।